जेतवनविहारवर्णनं प्रथमं प्रकरणम्
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अवलोकितेश्वरगुण–
कारण्डव्यूहः।
ओं नमो रत्नत्रयाय॥
श्रीआर्यावलोकितेश्वराय बोधिसत्त्वाय महासत्त्वाय महाकारुणिकाय॥
१. जेतवनविहारवर्णनं प्रथमं प्रकरणम्।
एवं मया श्रुतम्। एकस्मिन् समये भगवान् श्रावस्त्यां विहरति स्म जेतवनेऽनाथपिण्डदस्यारामे महता भिक्षुसंघेन सार्धमर्धत्रयोदशभिर्भिक्षुशतैः संबहुलैश्च बोधिसत्त्वशतसहस्रैः। तद्यथा–वज्रपाणिना च बोधिसत्त्वेन महासत्त्वेन। ज्ञानर्दशनेन च बोधिसत्त्वेन महासत्त्वेन। वज्रसेनेन च बोधिसत्त्वेन महासत्त्वेन। गुहगुप्तेन च बोधिसत्त्वेन महासत्त्वेन। आकाशगर्भेण च बोधिसत्त्वेन महासत्त्वेन। सूर्यगर्भेण च बोधिसत्त्वेन महासत्त्वेन। अनिक्षिप्तघुरेण च बोधिसत्त्वेन महासत्त्वेन। रत्नपाणिना च बोधिसत्त्वेन महासत्त्वेन। समन्तभद्रेण च बोधिसत्त्वेन महासत्त्वेन। महास्थामप्राप्तेन च बोधिसत्त्वेन महासत्त्वेन। सर्वनीवरणविष्कम्भिना च बोधिसत्त्वेन महासत्त्वेन। सर्वशूरेण च बोधिसत्त्वेन महासत्त्वेन। भैषज्यसेनेन च बोधिसत्त्वेन महासत्त्वेन। अवलोकितेश्वरेण च बोधिसत्त्वेन महासत्त्वेन। वज्रमतिना च बोधिसत्त्वेन महासत्त्वेन। सागरमतिना च बोधिसत्त्वेन महासत्त्वेन। धर्मधरेण च बोधिसत्त्वेन महासत्त्वेन। पृथिवीवरलोचनेन च बोधिसत्त्वेन महासत्त्वेन। आश्वासहस्तेन च बोधिसत्त्वेन महासत्त्वेन। मैत्रेयेण च बोधिसत्त्वेन महासत्त्वेन। एवंप्रमुखैरशीतिकोट्यो बोधिसत्त्वाः संनिषण्णाः। अन्ये च द्वात्रिंशद्देवनिकाया देवपुत्राः संनिपतिता महेश्वरनारायणदेवपुत्रपूर्वंगमाः। शक्रो देवानामिन्द्रो ब्रह्मा च सहांपतिश्चन्द्रादित्यवायुवरुणादयो देवपुत्राः संनिपतितास्तस्मिन् पर्षदि। अनेकानि च नागराजशतसहस्राणि संनिपतितानि। तद्यथा—उपलालश्च नागराजः। एलपत्रश्च नागराजः। तिमिंगिरश्च नागराजः। गवांपतिश्च नागराजः। शतशीर्षश्च नागराजः। हुल्लुरश्च नागराजः। वहूदकश्च नागराजः। तक्षकश्च नागराजः। गोशीर्षश्च नागराजः। मृगशीर्षश्च नागराजः। नन्दोपनन्दौ च नागराजौ। वात्सीपुत्रश्च नागराजः। एवंप्रमुखाण्यनेकानि नागराजशतसहस्राणि संनिपतितानि। अनेकानि च गन्धर्वराजशतसहस्राणि संनिपतितानि। तद्यथा—दुन्दुभिस्वरश्च गन्धर्वराजः। मनोज्ञस्वरश्च गन्धर्वराजः। सहस्रभुजश्च गन्धर्वराजः। सहांपतिश्च गन्धर्वराजः। शरीरप्रह्लादनश्च गन्धर्वराजः। निर्नादितभूर्यश्च गन्धर्वराजः। अलंकारभूषितश्च गन्धर्वराजः। कुमारदर्शनश्च गन्धर्वराजः। सुबाहुयुक्तश्च गन्धर्वराजः। धर्मप्रियश्च गन्धर्वराजः। एवंप्रमुखाण्यनेकानि गन्धर्वराजशतसहस्राणि संनिपतितानि तस्मिन् पर्षदि। अनेकानि च किन्नरराजशतसहस्राणि संनिपतितानि। तद्यथा–सुमुखश्च किन्नरराजः। रत्नकिरीटी च किन्नरराजः। स्वातिमुखश्च किन्नरराजः। प्रहसितश्च किन्नरराजः। चक्रव्यूहश्च किन्नरराजः। पुष्पावकीर्णश्च किन्नरराजः। मणिश्च किन्नरराजः। प्रलम्बोदरश्च किन्नरराजः। दृढवीर्यश्च किन्नरराजः। सुयोधनश्च किन्नरराजः। शतमुखश्च किन्नरराजः। द्रुमश्च किन्नरराजः। एवंप्रमुखाणि अनेकानि किन्नरराजशतसहस्राणि संनिपतितानि तस्मिन् पर्षदि। अनेकाश्चाप्सरसःशतसहस्राः संनिपतिताः। तद्यथा–तिलोत्तमा नामाप्सरसा। सुव्यूहा नामाप्सरसा। सुवर्णमेखला नामाप्सरसा। विभूषिता नामाप्सरसा। कर्णधारा नामाप्सरसा। अमृतबिन्दुर्नामाप्सरसा। परिशोभितकाया नामाप्सरसा। मणिप्रस्थनामाप्सरसा। चूडका नामाप्सरसा। मृदुका नामाप्सरसा। पञ्चभूर्याभिमुखा नामाप्सरसा। रतिकरा नामाप्सरसा। काञ्चनमाला नामाप्सरसा। नीलोत्पला नामाप्सरसा। धर्माभिमुखा नामाप्सरसा। सक्रीडा नामाप्सरसा। कृत्स्नाकरा नामाप्सरसा। सुव्यूहमुखा नामाप्सरसा। केयूरधरा नामाप्सरसा। दानंददा नामाप्सरसा। शशी नामाप्सरसा। एवंप्रमुखाण्यनेकाप्सरसःशतसहस्राणि संनिपतितानि तस्मिन् पर्षदि। अनेकानि च नागकन्याशतसहस्राणि संनिपतितानि। तद्यथा–विभूषणधरा नाम नागकन्या। स्वातिमुखा नाम नागकन्या। जयश्रीर्नाम नागकन्या। विजयश्रीर्नाम नागकन्या। मुचिलिन्दा नाम नागकन्या। त्रिजटा नाम नागकन्या। विद्युल्लोचना नाम नागकन्या। स्वातिगिरिर्नाम नागकन्या। शतपरिवारा नाम नागकन्या। विद्युत्प्रभा नाम नागकन्या। महौषधिर्नाम नागकन्या। जलबिन्दुर्नाम नागकन्या। एकशीर्षा नाम नागकन्या। शतबाहुर्नाम नागकन्या। ग्रसती नाम नागकन्या। अनाकृच्छ्रगता नाम नागकन्या। सुभूषणा नाम नागकन्या। पाण्डलमेघा नाम नागकन्या। रथाभिरुढा नाम नागकन्या। त्यागगता नाम नागकन्या। अभिन्नपरिवारा नाम नागकन्या। पुलिन्दा नाम नागकन्या। सागरकुक्षिर्नाम नागकन्या। छत्रमुखा नाम नागकन्या। धर्मपीठा नाम नागकन्या। मुखरा नाम नागकन्या। वीर्या नाम नागकन्या। सागरगम्भीरा नाम नागकन्या। मेरुश्रीर्नाम नागकन्या। एवंप्रमुखाण्यनेकानि नागकन्या शतसहस्राणि संनिपतितानि तस्मिन् पर्षदि। अनेकानि च गन्धर्वकन्याशतसहस्राणि संनिपतितानि। तद्यथा–प्रियमुखा नाम गन्धर्वकन्या। प्रियंददा नाम गन्धर्वकन्या। सुदर्शना नाम गन्धर्वकन्या। वज्रश्रीर्नाम गन्धर्वकन्या। वज्रमाला नाम गन्धर्वकन्या। अनादर्शना नाम गन्धर्वकन्या। समालिनी नाम गन्धर्वकन्या। वनस्पतिर्नाम गन्धर्वकन्या। शतपुष्पा नाम गन्धर्वकन्या। मुकुलिता नाम गन्धर्वकन्या। रत्नमाला नाम गन्धर्वकन्या। मुदितपुष्पा नाम गन्धर्वकन्या। सुकुक्षिर्नाम गन्धर्वकन्या। राजश्रीर्नाम गन्धर्वकन्या। दुन्दुभिर्नाम गन्धर्वकन्या। शुभमाला नाम गन्धर्वकन्या। विभूषितालंकारा नाम गन्धर्वकन्या। अभिनमिता नाम गन्धर्वकन्या। धर्मकाङ्क्षिणी नाम गन्धर्वकन्या। धर्मंददा नाम गन्धर्वकन्या। औदुम्बरा नाम गन्धर्वकन्या। शताकारा नाम गन्धर्वकन्या। पद्मावती नाम गन्धर्वकन्या। फलंददा नाम गन्धर्वकन्या। पद्मालंकारा नाम गन्धर्वकन्या। परिशोभितकाया नाम गन्धर्वकन्या। विलासेन्द्रगामिनी नाम गन्धर्वकन्या। पृथिवींददा नाम गन्धर्वकन्या। सिंहगामिनी नाम गन्धर्वकन्या। कुमुदपुष्पा नाम गन्धर्वकन्या। मनोरमा नाम गन्धर्वकन्या। दानंददा नाम गन्धर्वकन्या। देववचना नाम गन्धर्वकन्या। क्षान्तिप्रिया नाम गन्धर्वकन्या। निर्वाणप्रिया नाम गन्धर्वकन्या। रत्नाङ्कुरा नाम गन्धर्वकन्या। इन्द्रश्रीर्नाम गन्धर्वकन्या। इन्द्रमघश्रीर्नाम गन्धर्वकन्या। प्रजापतिनिवासिनी नाम गन्धर्वकन्या। मृगराजिनी नाम गन्धर्वकन्या। स्फुरन्तश्रीर्नाम गन्धर्वकन्या। ज्वलन्तशिखरा नाम गन्धर्वकन्या। रागपरिमुक्ता नाम गन्धर्वकन्या। द्वेषपरिमुक्ता नाम गन्धर्वकन्या। मोहपरिमुक्ता नाम गन्धर्वकन्या। सुजनपरिवारा नाम गन्धर्वकन्या। रत्नपीठा नाम गन्धर्वकन्या। आगमनगमना नाम गन्धर्वकन्या। अग्निप्रभा नाम गन्धर्वकन्या। चन्द्रबिम्बप्रभा नाम गन्धर्वकन्या। सूर्यलोचना नाम गन्धर्वकन्या। सुवचा नाम गन्धर्वकन्या। एवंप्रमुखाण्यनेकानि गन्धर्वकन्याशतसहस्राणि संनिपतितानि तस्मिन् पर्षदि। अनेकानि च किन्नरकन्याशतसहस्राणि संनिपतितानि। तद्यथा–मनसा नाम किन्नरकन्या। मानसी नाम किन्नरकन्या। वायुवेगा नाम किन्नरकन्या। वरुणवेगा नाम किन्नरकन्या। आकाशप्लवा नाम किन्नरकन्या। वेगजवा नाम किन्नरकन्या। लक्ष्मींददा नाम किन्नरकन्या। सुदंष्ट्रा नाम किन्नरकन्या। अचलश्रीर्नाम किन्नरकन्या। धातुप्रिया नाम किन्नरकन्या। अवलोकितलक्ष्मीर्नाम किन्नरकन्या। कुटिला नाम किन्नरकन्या। वज्रमुष्टिर्नाम किन्नरकन्या। कपिला नाम किन्नरकन्या। सुभूषणभूषिता नाम किन्नरकन्या। विस्तीर्णललाटा नाम किन्नरकन्या। सुजनपरिसेविता नाम किन्नरकन्या। सहांपतिर्नाम किन्नरकन्या। आकाशरक्षिता नाम किन्नरकन्या। व्यूहराजेन्द्रा नाम किन्नरकन्या। मणिचूडा नाम किन्नरकन्या। मणिधारिणी नाम किन्नरकन्या। मणिरोचनी नाम किन्नरकन्या। विद्वज्जनपरिसेविता नाम किन्नरकन्या। शताकरा नाम किन्नरकन्या। आयुर्ददा नाम किन्नरकन्या। तथागतकोशपरिपालिता नाम किन्नरकन्या। धर्मधातुपरिरक्षिणी नाम किन्नरकन्या। सततपरिग्रहधर्मकाङ्क्षिणी नाम किन्नरकन्या। सदानुकालदर्शिनी नाम किन्नरकन्या। नूपुरोत्तमा नाम किन्नरकन्या। लक्षणोत्तमा नाम किन्नरकन्या। आश्वासनी नाम किन्नरकन्या। विमोक्षकरा नाम किन्नरकन्या। सदानुवृत्तिर्नाम किन्नरकन्या। संवेगधारिणी नाम किन्नरकन्या। खङ्गज्वलना नाम किन्नरकन्या। पृथिव्युपसंक्रमणा नाम किन्नरकन्या। सुरेन्द्रमाला नाम किन्नरकन्या। सुरेन्द्रा नाम किन्नरकन्या। असुरेन्द्रा नाम किन्नरकन्या। मुनीन्द्रा नाम किन्नरकन्या। गोत्रक्षान्तिर्नाम किन्नरकन्या। योगानुगता नाम किन्नरकन्या। बह्वाश्रया नाम किन्नरकन्या। शतायुधा नाम किन्नरकन्या। विभूषितालंकारा नाम किन्नरकन्या। मनोहरा नाम किन्नरकन्या। एवंप्रमुखाण्यनेकानि किन्नरकन्याशतसहस्राणि संनिपतितानि। अनेकान्युपासकोपासिकाशतसहस्राणि संनिपतितानि, अनेकानि च परिव्राजकनिर्ग्रन्थशतसहस्राणि संनिपतितानि॥
यदा महासंनिपातश्चाभूत, तदा अवीचौ महानरके रश्मयो निश्चरन्ति स्म। निश्चरित्वा जेतवनविहारमागच्छन्ति स्म। सर्वे ते विहारपरिशोभिता एव दृश्यन्ते स्म। दिव्यमणिरत्नोपलित्पाः स्तम्भाः परिशोभिता एव दृश्यन्ते स्म। कूटागाराः सुवर्णोपचिता दृश्यन्ते स्म। लयने लयने सुवर्णरूप्यमयानि द्वाराणि दृश्यन्ते स्म। लयने लयने सुवर्णरूप्यमयानि सोपानानि दृश्यन्ते स्म। सुवर्णरूप्यमयानि प्रासादानि, रूप्यमये प्रासादे सुवर्णमयानि स्तम्भानि दिव्यरत्नोपचितानि। सुवर्णमये प्रसादे रूप्यमयानि स्तम्भानि दिव्यरत्नोपशोभितानि। सुवर्णमये प्रासादे रूप्यमयानि स्तम्भानि दिव्यरत्नोपशोभितानि। बहिर्जेतवनस्य पुरत उद्याने नानाविधानि कल्पवृक्षाणि दृश्यन्ते स्म। सुवर्णदण्डानि रूप्यपत्राणि नानाविधालंकारप्रलम्बितानि। विचित्राणि चीवरवस्त्रप्रलम्बितानि। कौशिकवस्त्रप्रलम्बितानि। मुक्ताहारशतसहस्रप्रलम्बितानि। विविधमौलीकुण्डलस्रग्दामकेयूरनूपुरशतसहस्राणि प्रलम्बितानि। कर्णपृष्ठोत्तर्याणि स्तम्भानि मणिरत्नकटककेयूरकाणि प्रलम्बितानि संदृश्यन्ते। स्म। तेन तत्र च रम्यावभासे तादृशानि कल्पवृक्षशतसहस्राणि प्रादुर्भूतानि। तस्मिन्नेव जेतवनविहारे वज्रमयाणि सोपानानि दृश्यन्ते स्म, द्वारकोष्ठे च मुक्तापटकलापप्रलम्बितानि। अनेकानि पुष्करिणीशतसहस्राणि प्रादुर्भूतानि। तत्र कानिचिदष्टाङ्गोपेतवारिणा परिपूर्णानि। कानिचिन्नानाविधपुष्पपरिपूर्णानि। तद्यथा–उत्पलपद्मकुमुदपुण्डरीकमान्दारवमहामान्दारववडौदुम्बरपुष्पपरिपूर्णानि। अन्यानि च पुनस्तत्र विविधानि काष्ठपुष्पाण्युत्पद्यन्ते। तद्यथा–चम्पकाशोककरवीरपाटलानिर्मुक्तकसुमनागन्धवार्षिकाणि। एतानि मनोरमाणि काष्ठपुष्पाणि प्रादुर्भूतानि। इत्येवं तस्मिन् जेतवनविहारे समन्ततः परिशोभितानि दृश्यन्ते स्म॥
इति जेतवनविहारवर्णनं नाम प्रथमप्रकरणम्॥